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द गर्ल इन रूम 105–४

अध्याय 1


महीने पहले

'स्टॉप मेरे भाई, स्टॉप, सौरभ ने मेरे हाथ से ही कामाने हुए कहा

"मैन में नहीं है, मैंने कहा। हम मेशिष्ट बार के पास ड्राइंग रूम के एक कोने में बैठे हुए थे। कोचिंग क्लास फैकल्टी के बाकी के लोग अरोरा सर के इर्द-गिर्द जमा थे। वे कभी भी उनकी लम्बी-चाप करने का मौका हम चंदन क्लासेस के संचालक और हमारे बॉस चंदन अरोरा के मानवीय नगर स्थित पर पर आए थे।

नहीं गंवाते थे।

तुमने मेरी कसम खाई थी कि तुम दो ड्रिंक से ज्यादा नहीं पीओगे, सौरभ ने कहा

मैं उसे देखकर मुस्करा दिया। "हो, लेकिन मैंने ड्रिंक्स की साइज तो तय नहीं की थी ना एक ड्रिंक में आधी बोतल भी तो पी जा सकती

है. मेरी आवाज में खुद ठीक से खड़ा नहीं हो पा रहा था।

"तुम्हें ताजी हवा की जरूरत है। चलो बालकनी में चलते हैं.' सौरभ ने कहा।

"मुझे केवल ताज़ी हस्ती की जरूरत है. मैंने कहा

गरम मेरी बांह पकड़कर मुझे बीच हुए बालकनी में ले गया। मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ कि बुलबुल शरीर वाला यह इंसान इतना ताकतवर कब से हो गया था।

'यहां तो कड़ाके की सदी है, मैं से पते हुए कहा। अपने आपको गर्म बनाए रखने के लिए मैं अपनी

नियों को ने लगा।

"भाई, तुम्हें इतनी नहीं पीनी चाहिए।"

"यह न्यू ईयर ईव है। तुम तो जानते ही हो इस तारीख को मुझे क्या हो जाता है।"- वो जब बीती बात हो गई है। चार साल पुरानी अभी साल 2018 लगने जा रहा है।"

लगता है जैसे चार पन पहले की बात हो, मैंने कहा।

मैंने सिगरेट का पैकेट निकाला लेकिन सौरभ ने उसे खीन लिया और अपनी जेब के हवाले कर दिया। मैंने फोन निकाला और अपने अपने ननी के कॉन्टैक्ट डिटेल लिए जारा "उसने उस रात को क्या नावाने जारा के व्हॉट्सएप प्रोफाइल पिक्चर को देखते हुए कहा हमारे

बीच सब खत्म हो गया है, यही कहा था ना उसने लेकिन हमारे बीच भ्रम हो गया है. यानी क्या वह हम का इस्तेमाल कैसे कर सकती है। मेरी तरफ से अभी ग्राम नहीं हुआ। "भाई, फोन को बंद कर दी तुम्हारी तरफ से उसे एक एक्ट जाएगा, सौरभ ने कहा और

मेरा फोन छीनने की कोशिश की में दूर हो गया।

"जरा देखी इसे मैंने सौरभ की ओर फोन की स्क्रीन घुमाते हुए कहा उसने अपनी दीपी में एक सेल्फी लगा रखी थी पाउटिंग, कमर पर हाथ और काली साड़ी-उसके गोरे,

गुलाबी चेहरे के साथ एक नाटकीय कंट्रास्ट रखते हुए

वह हमेशा डीपी में अपनी तस्वीर नहीं लगाती भी लगा देती थी 'जिंदगी को आपनी

राह रोकने का अवसर दो जिस्म के कोट्स ऐसे बयान, जो सुनने में तो संजीदा मते, लेकिन वास्तव में जिनका कोई मतलब नहीं होता। उसकी पिक्चर ही अब उससे मेरा इकलौता जुड़ाव रह गया था। इसी से मुझे पता बताया कि उसकी जिंदगी में क्या हो रहा है।

"मला कानी साड़ियां कौन पहनता है? वह इसमें इतनी अच्छी नहीं लग रही है. सौरभ ने कहा। वह ह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता था कि मैं जैसे भी हो, उसे अपने दिमाग से निकाल सकूँ सौरभ मेरा सबसे अच्छा दोस्त था, और जिंदगी नाम की इस पागलपन भरी दौड़ में मेरा सबसे अच्छा साथी वह जयपुर से था, जो कि मेरे शहर अनवर से बहुत दूर नहीं था। उसके पिता पीडब्ल्यूडी में बतौर जूनियर इंजीनियर काम करते थे।

मेरी ही तरह कैंपस के बाद उसका भी प्लेसमेंट नहीं हुआ था। हम दोनों चंदन नामे में जीती मेहनत करने,

जानते हुए भी कि हम जल्द से जल्द इस जगह से बाहर निकल जाना चाहते थे।

बीजारा है, वो ही बच्च्छी लगती है, मैंने दो टूक अंदाज में कहा सौरभ ने कंधे उचका दिए।

"इसी बात का तो दुख भी है।

"तुम्हे क्या लगता है, मैं उसके मुक्स की वजह से उसका दीवाना "मुझे लगता है कि तुम अपना फोन अब बंद कर देना चाहिए।' गए हैं पागलपन से भरे तीन साल

"जानता हूँ भाई अगर तुम प्रॉमिस करो कि ड्रिंक नहीं करोगे तो हम अंदर चलें। यहां बहुत सदी है। "क्या जानते हो तुम।" यही कि तुमने तीन साल तक जारा को डेट किया। डिनर करना है?

किया था।

"हो, बताया था तुमने मुझे गन्देव 2010 से न्यू ईयर ईव 2014 तका

"हो. रान्देवू वहीं हमारी मुलाकात हुई थी। मैंने तुम्हें बताया है कि हम कैसे मिले थे?" मैने कहा। मेरे कदम

"डिनर की ऐसी की तेगी। केवल तीन साल नहीं, मैंने उसे तीन साल दो महीने और तीन हफ्ते तक डेट

रहे थे। सौरभ ने मुझे कसकर पकड़ रखा था ताकि मैं नीचे जा गिर प

"हो तुम मुझे बता चुके हो. एक नहीं पचासों बार सौरभ ने बहुए कहा एक डिबेट कॉम्पिटिशन रहा था। वह इनस में बी

"माई, तुम ये कहानी [हजार बार सुना चुके हो. उसने कहा, लेकिन मुझे परवाह नहीं थी। अब यह स

कहानी को एक बार फिर सुन सकता था।

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